“तिरंगे की शान में लिखी गई आज़ादी की दास्तान”

 

 

  • आकांक्षा

 

15 अगस्त 1947 का वो दिन कुछ तो खास था, देशवासियों और हमारे बहादुर वीरों ने इस दिन रचा एक अलग इतिहास था।
कहानी कुछ ऐसे शुरू होती है,

भारत को कहा जाता था सोने की चिड़िया, अंग्रेजों ने भारत पर ऐसा कब्जा किया कि पिंजरे में कैद भारतीय हो गए और उड़ गई सोने की चिड़िया।

कुछ मात्रा में अंग्रेज आए थे फिर धीरे-धीरे इन्होंने व्यापार अपना शुरू किया, भारतीयों का राज पाठ देखकर अपनी हुकूमत करने का धीरे-धीरे उन्होंने यह सिलसिला शुरू किया।

मासूम सभी भारतीय अंग्रेजों की यह चल ना समझ पाए, अपनी ही जमीन का कर देते देते कई साल गुजर गए।
कई साल बीत गए उनकी गुलामी करते-करते, कितने भारतीय कुर्बान हो गए आजादी के लिए लड़ते-लड़ते।
धीरे-धीरे वह भारत पर कब्जा करते गए, हम भी उनको भारत से बाहर निकलने का जाल धीरे-धीरे बूनते रहे।

बस अब बहुत जुल्म सह लिए, बहुत से घर बर्बाद हो गए, तिरंगे को आजाद करवाने की अब दिन आ गए।
हमने हर फिर भी न मानी थी, आजादी की है ठानी थी, बिना किसी संकोच के भारत को आजाद करवाने में हमारे वीर जवानों ने अपनी जान की दे दी कुर्बानी थी।

हर कोने से एक भारतीय सैनिक तैयार किया जा रहा था, आजादी के लिए लड़ता हर वह सैनिक तिरंगे के लिए कुर्बान भी हो रहा था।

हर तरफ से आज़ादी की आवाज उठ रही थी, अंग्रेजों द्वारा उन आवाजों को दबाने की कोशिश उनकी जारी थी।

अंग्रेजों के खिलाफ अगर किसी ने उठाई उंगली तो उनके हाथ काट दिए या पैरों तले कुचल दिया गया, इस लड़ाई में पुरुष और स्त्री दोनों ने बराबर का योगदान दिया।

इस जंग के मैदान में न जाने कितने जान गई थी, ना जाने कितनों ने अपनों को खाया था, हर एक व्यक्ति अपनों को खोने के बाद आखिर बहुत रोया था।

ऐसा कोई भी दिन नहीं था जिस दिन ना करते जंग की तैयारी हम, अगर उसे समय ना लड़ते अंग्रेजों से, ना मिलती आजादी, बस इसी बात का रह जाता हमें आज भी यही गम।

इतने जुल्म सहने के बाद आखिरकार हम आजाद हो ही गए, आजादी दिलवाने में बहुत से लोग वीरगति को प्राप्त हो गए।
आखिरकार वह दिन आ ही गया, 15 अगस्त 1947 को हमारे देश का तिरंगा फहराया गया।

हमें यह आजादी इतनी आसानी से कहां मिली है इस मातृभूमि को आजाद और तिरंगे की शान को बचाने के लिए कई वीर जवानों ने अपनी जान की कुर्बानी दी है।

स्वतंत्रता दिवस का यह दिन आज भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, हर साल लाल किले पर तिरंगा और बहादुर वीरों की कुर्बानियों को याद किया जाता है।

आज हमारे देश को आजाद हुए 78 साल हो गए, 21 तोपों के सलामी देने के लिए सारे भारतवासी फिर से एक साथ हो गए।
जय हिंद

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