कुरैया बना सियासी रणक्षेत्र, भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर

मतदाताओं की खामोशी बढ़ा रही प्रत्याशियों की बेचैनी

रूद्रपुर। जिला पंचायत चुनाव में हॉट सीट बनी कुरैया सीट पर भाजपा और कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। इस सीट पर जहां भाजपा के विधायक शिव अरोरा की प्रतिष्ठा दांव पर है तो वहीं किच्छा के कांग्रेस विधायक एवं पूर्व विधायक तिलकराज बेहड़ की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। दोनों ही विधायकों ने इस सीट पर अपने अपनी पार्टी के समर्थित प्रत्याशी की जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। जिससे मुकाबला रोचक होता नजर आ रहा है।

28700 मतदाताओं वाली कुरैया जिला पंचायत सीट पर भाजपा ने अपने अपनी पार्टी के नेता उपेन्प्द्र चौधरी की पत्नी कोमल चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि कांग्रेस से अधिवक्ता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार के सर्वेश सिंह की पत्नी सुनीता सिंह पर दांव खेला है। जबकि निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में फरहा चुनाव मैदान में हैं।

मुख्य रूप से मुकाबला भाजपा कांग्रेस के बीच नजर आ रहा है। दोनों ही पार्टी के नेताओं ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। कोमल चौधरी के चुनाव प्रचार में जहां विधायक शिव अरोरा, महापौर विकास शर्मा सहित पार्टी के कई नेता जोर लगा रहे हैं तो वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के लिए किच्छा विधायक एवं पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़, मेयर का चुनाव लड़ चुके मोहन खेड़ा, विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी महिला कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मीना शर्मा जोर आजमाईश कर रहे हैं।

हॉट सीट बनी कुरैया सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने के आसार हैं। चुनावी समीकरणों की बात करें तो यहां पर भाजपा के लिए राह आसान नजर नहीं आ रही है। 28700 मतदाताओं वाले इस जिला पंचायत क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 8000 हजार है। जबकि पूर्वाचंल के लोगों की संख्या 6000 है। इनमें करीब तीन सौ से अधिक परिवार स्वतंत्रता सेनानी परिवार से हैं। कांग्रेस प्रत्याशी को जहां पूर्वाचंली होने और स्वतंत्रता सेनानी परिवार से ताल्लुक होना का लाभ मिल सकता है। वहीं कांग्रेस का मुस्लिम कैडर वोट भी उनकी जीत की राह को आसान बना सकता है।

दूसरी तरफ भाजपा प्रत्याशी के लिए सबसे बडी मुस्किल बाहरी होना है। भाजपा प्रत्याशी कोमल चौधरी वर्तमान में ओमेक्स में रहती हैं, विपक्ष उनके बाहरी होने के मुद्दे को जोर शोर से उठा रहा है। जातिगत समीकरण भी उनके पक्ष में फिट नहीं बैठते। कोमल चौधरी जाट परिवार से आती हैं और जाट वोटों की संख्या भी इस सीट पर ना के बराबर है। मुस्लिम वोट वैसे भी भाजपा के पक्ष में कम ही पड़ता है। कोमल चौधरी के लिए सत्ता पक्ष का होना मुफीद साबित हो सकता है। उन्हें सत्ता पक्ष से होने का लाभ मिलने की उम्मीद है। प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के चलते गांव में विकास की गंगा बहाने का दावा करके वह मतदाताओं के बीच पहुंच रही हैं। फिलहाल भाजपा कांग्रेस के बीच मुकाबला कांटे का होने के आसार हैं।

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