दिल्ली से आये संत भाई चमनजीत सिंह जी लाल ने संगत को किया निहाल
रुद्रपुर । आदर्श कॉलोनी स्थित कुटिया संत बाबा गोपाल सिंह जी गुरुद्वारे में 53 वां सलाना गुरमत एवं संत समागम में रागी कीर्तनी जत्थों एवं कथावाचकों ने गुरु की महिमा का गुणगान कर संगत को निहाल कर दिया। समागम में दिल्ली से आये विख्यात संत चमनजीत सिंह जी लाल सहित कई संतों ने अपने प्रवचनों संगत को गुरू के बताये मार्ग पर चलने संदेश दिया।

गुरुद्वारे की मुख्य सेवादार माता सुषमा रानी की देखरेख में आयोजित संत समागम में भव्य धार्मिक दीवान सजाया गया। अखंड पाठ का विधिवत भोग पड़ने के पश्चात दिल्ली से पधारे भाई चमनजीत सिंह जी लाल, नानकसर बाजपुर से पधारे बाबा प्रताप सिंह जी, कथावाचक ज्ञानी हरजीत सिंह जी, भाई गुरुभेज सिंह जी, कीर्तनी जत्था भाई कुलदीप सिंह जी , भाई पवनदीप सिंह जी आदि रागी व कीर्तनी जत्थों ने गुरू की महिमा का गुणगान कर सत्संग सत्संग को निहाल किया। समागम में भाई चमनजीत सिंह जी लाल ने सतनाम वाहेगुरु भाग होआ गुरु संत मिलाया है, संता के कारज आप खालोया घ्घ्हर काम करावां आया राम,श्री हरिकिशन धियाई जिस दिथे सब दुख जाए,वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह आदि शबद कीर्तन के साथ गुरु की महिमा का बखान कर संगत को निहाल कर दिया।

इस दौरान बाबा प्रताप सिंह जी नानकसर बाजपुर वाले, ज्ञानी हरजीत सिंह जी कथावाचक शाबाद मारकंडा वाले, भाई गुरुभेज सिंह जी कथावाचक रुद्रपुर वाले, भाई कुलदीप सिंह जी कीर्तनी जत्था उत्तम नगर वाले, भाई पवनदीप सिंह जी कीर्तनी जत्था पटियाला वाले आदि ने प्रवचन करते हुए नेकी और सच्चाई की राह पर चलने का आहवान किया। इस दौरान बड़ी संख्या में संगत ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष शीश नवाकर सुख समृद्धि की कामना की। पहीं दिन भर चले लंगर में हजारो लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। समागम में पहुंचने सभी संतों का मुंजाल परिवार ने आदर सत्कार करते हुए उन्हें सम्मानित किया और आशीर्वाद प्राप्त किया। समागम में संतों का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल,व्यापार मंडल अध्यक्ष संजय जुनेजा, महामंत्री मनोज छाबड़ा, अजय सिंह, धीरज असीजा, सुधीर अरोरा व संजय ठुकराल का मुंजाल परिवार ने सरोपा भेंट कर स्वागत किया।इनके अलावा कई अन्य गणमान्य लोगों को भी सरोपा भेट कर सम्मानित किया।

इस दौरान गुरुद्वारे की मुख्य सेवादार माता सुषमा रानी,आशीष मुंजाल,विक्की मुंजाल, हरीश मुंजाल, गौरव मुंजाल मन्नी मुंजाल, सुरेश मुंजाल, पारस गाबा, परमानंद मुंजाल,हरिचन्द मुंजाल ,महंगा मुंजाल,किशन सेतिया, रमन अरोरा, रेनू अरोरा, सिमरनजीत सिंह, अंजली गुंबर ,रीमा मुंजाल , तृप्ति मुंजाल,सानवी मुंजाल, आशा मुंजाल, राम चंद आहूजा, गौतम आहूजा, शिव कुमार गुम्बर ,सोनू गुम्बर,हरबंस गुम्बर ,नरेश गुलाटी ,वंश गुलाटी,प्रवीण अरोरा ,रुशील अरोरा,जोगा सिंह,अमन सिंह, टहल सिंह ,पंजाब सिंह, सुरेंदर फुटेला ,राजेन्द्र फुटेला,मनोज मुंजाल , मोनू मुंजाल,किशन सहगल ,बंटी सहगल,सुमित सहगल,जुगनू मुंजाल , दीपक मुंजाल , राम चंद भुड्डी ,गौरव भुड्डी,राज कुमार सीकरी,तनिष्क सीकरी, शिवम मुंजाल, राजू मुंजाल, सूरज मुंजाल, मीनू मुंजाल, दीक्षा मुंजाल, अमरीक सिंह, दिनेश अरोरा, राजू अनेजा, अशोक खुराना, पवन कटारिया, अशोक चावला,जतिन नागपाल, रोशन लाल तागरा,शिवम तागरा,साहिल आहूजा,सोनू खुराना आदि ने लंगर का प्रसाद ग्रहण कर गुरु घर का आशीर्वाद प्राप्त किया।
53 साल से परंपरा को निभा रहा मुंजाल परिवार
रूद्रपुर। आदर्श कॉलोनी स्थित कुटिया संत बाबा गोपाल सिंह जी गुरुद्वारा की सेवा में दशकों से जुटा मुंजाल परिवार 53 साल से बुजुर्गों की परंपरा को पूरी श्रद्धा से निभा रहा है। मुंजाल परिवार ने संत गोपाल सिंह के नाम पर इस गुरूद्वारे की स्थापना उनके निधन के पश्चात की थी। संत गोपाल सिंह महान संत बाबा बचन सिंह जी के 16 शिष्यों में से एक थे। उन्होंने वर्ष 1971 में चोला चोढ़ा था। संत गोपाल सिंह जी के बारे में कहा जाता है कि वह बचपन से ही संत प्रवृत्ति के थे। उनके नाम पर आज जिस स्थान पर गुरूद्वारा स्थापित है यहां पर उन्होंने कई साल तक तपस्या की थी। उन समय यह क्षेत्र घना जंगल था। संत बाबा गोपाल सिंह इस स्थान पर गुफा में रहकर तपस्या करते थे। उन्होंने 12 वर्ष तक अन्न त्यागकर यहां तपस्या की थी। इस तपस्या के दौरान संत गोपाल सिंह दिन में एक बार ही गुफा से बाहर आते थे, आस पास के श्रद्धालु गुफा के बाहर दूध फल आदि जो भी रख देते थे संत गोपाल सिंह सिर्फ उसे ही आहार के रूप में ग्रहण करते थे। 1971 में उनके शरीर छोड़ने के पश्चात मुंजाल परिवार ने गुफा के स्थान पर उनकी समाधि स्थापित की। उसके पश्चात यहां पर उनके नाम से गुरूद्वारे की स्थापना हुयी और गुरूद्वारे की देखरेख का दायित्व संत गोपाल सिंह के भतीजे महंगा राम मुंजाल ने संभाला।

संत गोपाल सिंह की पहली बरसी पर उनकी याद में गुरमत एवं संत समागम की परम्परा शुरू की गयी जो आज भी निरंतर जारी है। 2011 में महंगा राम मुंजाल के चोला छोड़ने के पश्चात गुरूद्वारे के मुख्य सेवादार की जिम्मेदारी उनकी धर्म पत्नी माता राज रानी ने संभाली। वर्ष 2021 में माता राज रानी ने भी चोला छोड़ दिया और उनके पश्चात मुख्य सेवादार की जिम्मेदारी उनके पुत्र समाजसेवी अशोक मुंजाल के कंधों पर आयी। समाजसेवी अशोक मंुजाल रेडिमेट के होल सेल व्यापारी थे और व्यापार अधिक फैला होने के कारण उन्हें समय बहुत मिल पाता था लेकिन माता राजरानी के चोला छोड़ने के बाद उन्होंने गुरूद्वारे की सेवा संभाली और खुद को सेवा में पूरी तरह समर्पित कर दिया। करीब छह माह पूर्व अशोक मुंजाल का भी आकस्मिक निधन हो गया। उनके पश्चात अब गुरूद्वारे के मुख्य सेवादार के रूप में उनकी धर्म पत्नी सुषमा रानी गुरूद्वारे सेवा में जुट गयी है। साथ ही उनके पुत्र विक्की मुंजाल और आशीष मुंजाल भी तन मन धन से गुरूद्वारे की सेवा में जुटे हैं। गुरूद्वारा में हर वर्ष 18 मार्च को होने वाला यह आयोजन 53 साल से हर साल आयोजित किया जा रहा है और इसमें लगातार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही है। शुरूआत में यह आयोजन गुरूद्वारा के भीतर ही आयोजित होता था। बाद में धीरे धीरे संगत बढ़ने पर अब मुंजाल परिवार इस आयोजन को बहुत बड़े पंडाल में आयोजित करता है। समागम में दूर दराज से संत महात्माओं के अलावा बड़ी संख्या में संगत पहुंचती है। इस बार भी समागम में हजारों की संख्या में संगत उमड़ी। दिन भर लंगर चलता रहा। खास बात है कि इतने बड़े आयोजन को मुंजाल परिवार खुद अपने दम पर करता है, इस आयोजन में किसी से भी आर्थिक सहयोग नहीं लिया जाता। गुरूद्वारा की मुख्य सेवादार सुषमा रानी का कहना है कि पूर्वजों ने जो परंपरा शुरू की थी उसे आगे भी अवरत जारी रखा जायेगा। उन्होंने गुरमत संत समागम में पधारे सभी संतों एवं संगत का आभार भी व्यक्त किया।